ज़िन्दगी और रियलिटी ज़िन्दगी और रियलिटी
“मैं सड़क हूँ रहती हूँ एक ही जगह कभी निःस्तब्ध, मौन कभी कराहती हुई ! “मैं सड़क हूँ रहती हूँ एक ही जगह कभी निःस्तब्ध, मौन कभी कराहती हुई !
और कोलाहल ? और कोलाहल ?
और फिर... और फिर...
और हम उनकी यादों में खोये रहते हैं... और हम उनकी यादों में खोये रहते हैं...